मैं क्या खो रहा हूँ तुम क्या पा रहे हो
मैं गीत गा रहा हूँ तुम याद आ रहे हो
ये सपना कौन सा इन आँखों ने बुन लिया है
तुने तो कुछ कहा ही नही क्या मैने सुन लिया है
दुनिया की भीड़ में बस मुझे तुम ही भा रहे हो
मैं गीत गा रहा हूँ तुम याद आ रहे हो
सजा रखी जो आंखों में , तस्वीर है तुम्हारी
तुम्हे चाहना ही अब तो, तकदीर है हमारी
तुम दूर बैठे बैठे भी मुझको सता रहे हो
मैं गीत गा रहा हूँ तुम याद आ रहे हो
यू ही शाम ढल जाती तुझे याद करते करते
जीने लगा हूँ फिर से मैं तुझपे मरते मरते
दिल की धड़कनों पर तुम ही तुम छा रहे हो
मैं गीत गा रहा हूँ तुम याद आ रहे हो
very good poem
ReplyDeletegajab
ReplyDeleteनपे तुले शब्दों के साथ...अच्छी रचना है।
ReplyDeleteAadab sir g bhut badhiya bhut hi badhiya
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