Sunday, November 26, 2017

कैसे तुमसे दूर रहूँ तू जीवन की जरुरत है

तन सुन्दर तेरा मन सुन्दर तू सुंदरता की मूरत है
कैसे तुमसे दूर रहूँ मैं तू जीवन की जरुरत है
सच्चाई का सत आँखों में चेहरे पर स्वाभिमान की घूप
निष्छल है बातें तेरी पावन है तेरा रूप
कितनी प्यारी रब ने बनाई तेरी सूरत है
कैसे तुमसे दूर रहूँ तू जीवन की जरुरत है
कांटा लगता मुझको तो दर्द तुमको भी होता
दुखी होता कोई अपना तो मन तेरा भी रोता
प्यारा है मन तेरा तू प्यार की एक मूरत है
कैसे तुमसे दूर रहूँ तू जीवन की जरुरत है

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