प्यारी सी ख़ुशी से हमारी भी मुलाकात होती
दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात होती
हम तो चले मीलों तेरी एक झलक पाने को
पलके बिछाये बैठे थे महबूब के आने को
तेरा दीदार ही मुहब्बत की सौगात होती
दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात होती
अपनी आँखों को मेरी आँखों से मिला जाते
कुछ पल को ही सही अगर तुम आ जाते
मेरी आँखों से ना यूं मोतियो की बरसात होती
दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात होती
माना बड़े वयस्त हो बहुत काम करते हो
छुट्टी नहीं लेते कभी ना आराम करते हो
काश मेरी भी रोजी रोटी तुम्हारे साथ होती
दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात होती
तुम्हारी उम्र बीत जायेगी यहाँ पैसा कमाने में
लेकिन दोस्त कहाँ पाओगे मुझ सा जमाने में
काश मेरे प्रेम की लकीर भी तुम्हारे हाथ होती
दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात होती
तुम जो अपने रिश्तो को यूं ही गवाओगे
याद रखना एक दिन अकेले ही रह जाओगे
अपनों के आगे ना सपनो की औकात होती
दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात होती
Wednesday, November 8, 2017
दो पग तुम भी चले आते
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
bahut sundar kavita
ReplyDelete