Wednesday, December 15, 2010

सुधर जाओ

जानता हूँ,
आपकी ही सरकार है
खानदानी लैठत हो
इस जनता पर
आपकी ही लठमार है
मानता हूँ
आपके आगे कौन बोलता है
अमीर चमचा है
गरीब तो जन्मजात गूंगा है
वो कहाँ लब खोलता है
जानते हो,
अब तुम्हारे ही राज मे,
कुछ सिरफिरे पैदा हो गये हैं
जिन्हे आता है मजा
नमक लगाने मे तुम्हारी खाज में
तुम्हारी ही सरकार के लाये कम्पयूटर को
हथिहार बना लिया है
ब्लाग बनाकर
हर सिरफिरा बोल रहा है
इस उम्मीद से
कि तुम सुधर जाओगे
(कुत्ते की पूछँ कहाँ सीधी होती है)
सुधर जाओ वर्ना
गुजर जाओगे


23 comments:

  1. waah bhai...sahi baat hai sudhar जाओ वरना हम बिगड़ गए न तो बहुत बुरा होगा....

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  2. गाढा दलदल है,'सिरफिरों'अथक महनत करनी होगी।

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  3. भाई वाह,


    सुधर जाओ वर्ना
    गुजर जाओगे


    बिलकुल ठीक अल्टीमेटम दे दिया.........

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  4. .

    अमीर चमचा है
    गरीब तो जन्मजात गूंगा है
    वो कहाँ लब खोलता है....

    बिलकुल सटीक अभिव्यक्ति !

    .

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  5. क्या बात है..बहुत खूब...

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  6. ... ab kyaa kahen ... bahut khoob ... prasanshaneey post !!!

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  7. बहुत खूब ....बिल्‍कुल सटीक बात कही है ....।

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  8. सभी सिरफिरे अपने काम में लगे है- देखो ये कब तक सुधरते हैं.

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  9. सभी सिरफिरे अपने काम में लगे है और सभी काम में लगे सिरफिरे हैं. देखते सुधरने की हवा किधर से आती है. आपकी चेतावनी सभी पर सटीक बैठी है.

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  10. दीपक जी!
    हमने तो इस माध्यम को पांचवां खम्बा बनाने का बीड़ा उठाया है... आइये हाथ उठाएँ, हम भी!!!

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  11. सभी सिरफिरे लगे है पर क्या करे इन सिरफिरों की ये बिगड़े सुनते नहीं है ये तो किसी की भी नहीं सुनते है क्योकि इनके पास सुनने के लिए कान ही नहीं है इनके पास तो बस एक बड़ा मुह है जिससे ये या तो खाते है या बोलते है | इन बिगाड़ो को सुधरने के लिए हम कब बिगड़ेंगे |

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  12. @ शेखर सुमन
    शेखर भाई बिगडने का समय आ गया है

    @ सुज्ञ जी,
    मेहनत शुरू कर दी है

    @ दीपक बाबा जी
    यही होना है

    @ झील जी,
    धन्यवाद

    @ संजय भास्कर
    ये बिगुल बजता ही रहना चाहिए
    @ उदय जी
    धन्यवाद

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  13. @ सदा जी
    धन्यवाद

    @ उडन तश्तरी जी
    लैंड करने के लिए धन्यवाद,
    कर्म कर रहे हैं तो फल तो एक ना एक दिन जरूर मिलेगा

    @ भूषण जी
    आपका कहना भी एकदम ठीक है

    @ सम्वेदना के स्वर जी
    हम सब आपके साथ है

    @ अंशुमाला जी
    मुझे लगता है कि बिगडने की शुरूआत तो हो चुकी है

    आप सबका ब्लाग पर आकर उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद

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  14. छोरे, इस्टाईल चोखो है -
    सुधर जाओ, वरना
    गुजर जाओगे।
    मजा आ गया।

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  15. करारा व्यंग्य

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  16. kalam ki jordar lalkar kursi ko..
    kalam ko talwar banana hi hoga..
    sateek vyang..

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  17. हालात को बहुत अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है!

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  18. अमीर चमचा है
    गरीब तो जन्मजात गूंगा है
    वो कहाँ लब खोलता है....

    Bahot khoob!

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  19. हर सिरफिरा बोल रहा है
    इस उम्मीद से
    कि तुम सुधर जाओगे
    (कुत्ते की पूछँ कहाँ सीधी होती है)
    सुधर जाओ वर्ना
    गुजर जाओगे
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    भाई बहुत अच्छा अल्टीमेटम दिया है ...आपके साहस को सलाम .....धन्यवाद

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  20. बड़ा ज़बरदस्त प्रहार कविता के माध्यम से किया है आपने

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  21. Merry Christmas
    hope this christmas will bring happiness for you and your family.
    Lyrics Mantra

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