जानता हूँ,
आपकी ही सरकार है
खानदानी लैठत हो
इस जनता पर
आपकी ही लठमार है
मानता हूँ
आपके आगे कौन बोलता है
अमीर चमचा है
गरीब तो जन्मजात गूंगा है
वो कहाँ लब खोलता है
जानते हो,
अब तुम्हारे ही राज मे,
कुछ सिरफिरे पैदा हो गये हैं
जिन्हे आता है मजा
नमक लगाने मे तुम्हारी खाज में
तुम्हारी ही सरकार के लाये कम्पयूटर को
हथिहार बना लिया है
ब्लाग बनाकर
हर सिरफिरा बोल रहा है
इस उम्मीद से
कि तुम सुधर जाओगे
(कुत्ते की पूछँ कहाँ सीधी होती है)
सुधर जाओ वर्ना
गुजर जाओगे
waah bhai...sahi baat hai sudhar जाओ वरना हम बिगड़ गए न तो बहुत बुरा होगा....
ReplyDeleteगाढा दलदल है,'सिरफिरों'अथक महनत करनी होगी।
ReplyDeleteभाई वाह,
ReplyDeleteसुधर जाओ वर्ना
गुजर जाओगे
बिलकुल ठीक अल्टीमेटम दे दिया.........
.
ReplyDeleteअमीर चमचा है
गरीब तो जन्मजात गूंगा है
वो कहाँ लब खोलता है....
बिलकुल सटीक अभिव्यक्ति !
.
PEHLE SE HI SUDHARNE KA BIGUL BJA DIYA
ReplyDeleteक्या बात है..बहुत खूब...
ReplyDelete... ab kyaa kahen ... bahut khoob ... prasanshaneey post !!!
ReplyDeleteबहुत खूब ....बिल्कुल सटीक बात कही है ....।
ReplyDeleteसभी सिरफिरे अपने काम में लगे है- देखो ये कब तक सुधरते हैं.
ReplyDeleteसभी सिरफिरे अपने काम में लगे है और सभी काम में लगे सिरफिरे हैं. देखते सुधरने की हवा किधर से आती है. आपकी चेतावनी सभी पर सटीक बैठी है.
ReplyDeleteदीपक जी!
ReplyDeleteहमने तो इस माध्यम को पांचवां खम्बा बनाने का बीड़ा उठाया है... आइये हाथ उठाएँ, हम भी!!!
सभी सिरफिरे लगे है पर क्या करे इन सिरफिरों की ये बिगड़े सुनते नहीं है ये तो किसी की भी नहीं सुनते है क्योकि इनके पास सुनने के लिए कान ही नहीं है इनके पास तो बस एक बड़ा मुह है जिससे ये या तो खाते है या बोलते है | इन बिगाड़ो को सुधरने के लिए हम कब बिगड़ेंगे |
ReplyDelete@ शेखर सुमन
ReplyDeleteशेखर भाई बिगडने का समय आ गया है
@ सुज्ञ जी,
मेहनत शुरू कर दी है
@ दीपक बाबा जी
यही होना है
@ झील जी,
धन्यवाद
@ संजय भास्कर
ये बिगुल बजता ही रहना चाहिए
@ उदय जी
धन्यवाद
@ सदा जी
ReplyDeleteधन्यवाद
@ उडन तश्तरी जी
लैंड करने के लिए धन्यवाद,
कर्म कर रहे हैं तो फल तो एक ना एक दिन जरूर मिलेगा
@ भूषण जी
आपका कहना भी एकदम ठीक है
@ सम्वेदना के स्वर जी
हम सब आपके साथ है
@ अंशुमाला जी
मुझे लगता है कि बिगडने की शुरूआत तो हो चुकी है
आप सबका ब्लाग पर आकर उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद
छोरे, इस्टाईल चोखो है -
ReplyDeleteसुधर जाओ, वरना
गुजर जाओगे।
मजा आ गया।
करारा व्यंग्य
ReplyDeletekalam ki jordar lalkar kursi ko..
ReplyDeletekalam ko talwar banana hi hoga..
sateek vyang..
हालात को बहुत अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है!
ReplyDeleteekdam theek kah rahe hain.
ReplyDeleteअमीर चमचा है
ReplyDeleteगरीब तो जन्मजात गूंगा है
वो कहाँ लब खोलता है....
Bahot khoob!
हर सिरफिरा बोल रहा है
ReplyDeleteइस उम्मीद से
कि तुम सुधर जाओगे
(कुत्ते की पूछँ कहाँ सीधी होती है)
सुधर जाओ वर्ना
गुजर जाओगे
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
भाई बहुत अच्छा अल्टीमेटम दिया है ...आपके साहस को सलाम .....धन्यवाद
बड़ा ज़बरदस्त प्रहार कविता के माध्यम से किया है आपने
ReplyDeleteMerry Christmas
ReplyDeletehope this christmas will bring happiness for you and your family.
Lyrics Mantra