मेरे मन पर तेरे मन का कुछ अधिकार तो बाकी है
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
जीवन के इस मोड़ पे जब मौसम पतझड़ का आया
पीछे धूप जवानी की और आगे बुढ़ापे का साया
जर्जर होती काया में फिर प्राण फूक दीये तुमने
बरसो बन्द पड़े दर को तुमने धीरे से खटकाया
मिटी सभी अभिलाषाएं, मन मे तेरा प्यार तो बाकी है
मेरे मन पर तेरे मन का कुछ अधिकार तो बाकी है
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
उसी राह पर खड़ा हूँ जिस राह पर छोड़ गए थे तुम
रस्मे निभाने को कसमे सारी तोड़ गए थे तुम
वादा था हमराह बनने का थोड़ी दूर ही चल पाये
जाने किस बात पे रुठे मुझसे मुँह मोड़ गए थे तुम
बेचैन सी आंखों में अब भी तेरा इंतज़ार तो बाकी है
मेरे मन पर तेरे मन का कुछ अधिकार तो बाकी है
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
Monday, May 14, 2018
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
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Gazab
ReplyDeleteGazab
ReplyDeletenice
ReplyDeletesuperb!!!!!!!!!
ReplyDeleteशानदार
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