तेरा झूठ भी सच माना हमने करी दुनिया की परवाह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
मेरी आँखें याद में तेरी अब भी झर झर बरसे
तेरे दरस को यार मेरे मेरी अब भी आंखे तरसे
कोई कितना भी खोजे पर मिलेगी मेरे प्रेम की थाह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
तुमसे मिलकर ये जाना तुम इस जीवन की डोर
तुमसे ही है सांझ मेरी औऱ तुमसे ही है भोर
तुझसे पहले खुली कभी किसी की खातिर मेरी बाँह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
सारी दुनिया झूठी लागे तू लागे एक सच्चा
तुझसे प्यारा और कोई ना, ना कोई तुझसे अच्छा
इस प्रेम से सच्चा ना मंदिर इससे सच्ची कोई दरगाह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
कितने भी हम दूर हो चाहे ना होती हो बात
तेरी याद से ही दिन निकले तेरी याद से हो रात
तेरी बांहो से हो अच्छी इस जग में ऐसी पनाह नही
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
तेरे प्रेम में जलता दीपक लौ तेरे संग बांधी
कुछ भी हो जाये अब न बुझेगा चाहे आये कितनी आंधी
जिस पथ मुझे तू न मिले अब चुननी मुझे वो राह नहीं
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
Wednesday, April 11, 2018
एक तेरे सिवा जालिम दिल ने की किसी और की चाह नही
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Super likha h nice
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