अपने सपनो को पंख लगाना आ गया
उस शर्मिली लड़की को मुस्कुराना आ गया
अपने गाँव को छोड़ के शहर क्या गयी
उसको सेल्फी के लिए मुंह बनाना आ गया
दुनिया की बाते जिसकी समझ से परे थी
उसको भी अब बातो में उलझाना आ गया
कंफ्यूज हो जाती थी जो चार क़दम चल कर
उसको भी लोगो को रास्ता दिखाना आ गया
पलकें झुका के जो हमेशा बात करती थी
जमाने से उसको नजरें मिलाना आ गया
डर है उसके दिल से मेरा प्यार न मिट जाये
शहर जा कर उसको पैसे कमाना आ गया
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