Tuesday, March 6, 2018

कुछ मुक्तक

दण्ड पे दण्ड हमको दीये जा रहे हो
किया क्या है हमने अपराध तो कहो
चूक क्या हो गयी है हमसे प्रेम में
उदाहरण कोई एक आध तो कहो

खुद को जलता हूआ छोड़ दिया हमने
कल उनसे नाता तोड़ दिया हमने
अब वो याद करे या न करे हमें
उनकी यादों से मुंह मोड़ दिया हमने

प्यार कितना भी हो वो जताते नही
हाल दिल का हमे वो सुनाते नही
प्यार उनका समझ ना आया हमे
रूठ भी जाएं हमको वो मनाते नही

यू तो होली में सब ने ही मला गुलाल
एक तूने ही ना लगाया, है यही मलाल
तुम उलझे रहे अपने ही कामो में
मेरी आँखें तरसती हुये करती रही सवाल

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