कितने ही रास्तो से,
आती आज भी उड कर धूल,
लग जाती मेरे सीने से,
स्मॄत हो आते
वो क्षण,
जब चले थे उन पर
थाम कर हाथ
एक दूजे का,
पूछ्ता है वो पेड
पत्तियाँ हिलाकर,
छाँव मे जिसकी कटती थी
सारी दोपहरी,
" वो जो,
पोछँती थी चुनरी से अपनी,
तेरे माथे पे आयी बूंदों को,
कहाँ है"
ये फूल बसन्ती सरसो के,
कहते,
" जो हमे तोड कर भर मुठठी
खिलखिलाकर,
तुम पर फेंकती और ताली बजाती,
वो कहाँ है"
क्या कहूँ क्या उत्तर दूँ,
उन सवालों का,
जो जला देते इस मन को,
और विवश करते है
आँखो को बरसने के लिये
आती आज भी उड कर धूल,
लग जाती मेरे सीने से,
स्मॄत हो आते
वो क्षण,
जब चले थे उन पर
थाम कर हाथ
एक दूजे का,
पूछ्ता है वो पेड
पत्तियाँ हिलाकर,
छाँव मे जिसकी कटती थी
सारी दोपहरी,
" वो जो,
पोछँती थी चुनरी से अपनी,
तेरे माथे पे आयी बूंदों को,
कहाँ है"
ये फूल बसन्ती सरसो के,
कहते,
" जो हमे तोड कर भर मुठठी
खिलखिलाकर,
तुम पर फेंकती और ताली बजाती,
वो कहाँ है"
क्या कहूँ क्या उत्तर दूँ,
उन सवालों का,
जो जला देते इस मन को,
और विवश करते है
आँखो को बरसने के लिये
बहुत संवेदनशील रचना आभार
ReplyDeleteइस अद्भुत रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteनीरज
कुछ प्रश्नों के लिये मौन ही सर्वोत्तम उत्तर होता है, उस मौन को अपनी रचनाओं के माध्यम से ऐसे ही जाहिर भी करते रहो।
ReplyDeleteगुड लक।
विरह की कसक ऐसी ही होती है. प्रकृति भूलने नहीं देती. भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteVery touching poem! congrats!
ReplyDeleteक्या कहूँ क्या उत्तर दूँ,
ReplyDeleteउन सवालों का,
जो जला देते इस मन को,
और विवश करते है
आँखो को बरसने के लिये.... kuch sawal aise bhi hote hai..... gahan abhivaykti....
वो क्षण,
ReplyDeleteजब चले थे उन पर
थाम कर हाथ
एक दूजे का,
बहुत खूबसूरती से एहसासों को लिखा है ....सुन्दर रचना
खूबसूरत लम्हों की यादें अक्सर अंकों में पानी दे जाती हैं ...
ReplyDeleteउम्दा रचना है दीपक जी ...
Deepak ji... shabdon ka achha mail hai... saral aur aasaan shabdon ke sath aapne kavita achhi bana di hai...
ReplyDeleteबहुत खूबसुरत ..............
ReplyDeleteपूछ्ता है वो पेड
ReplyDeleteपत्तियाँ हिलाकर,
छाँव मे जिसकी कटती थी
सारी दोपहरी,
" वो जो,
पोछँती थी चुनरी से अपनी,
तेरे माथे पे आयी बूंदों को,
कहाँ है"
SUNDAR SHRINGAARIK PRASTUTI.
वाह ! क्या बात है! बहुत अच्छी कविता! दीपक जी!
ReplyDeletedil ko chune vali rachna..bahut sundar..
ReplyDeletemere blog par bhi aapka swagat hai :)
यादें
ReplyDeleteतो बस होती ही हैं
सताने के लिए ....
प्रभावशाली काव्य .
क्या बात है! बहुत अच्छी कविता.....
ReplyDeleteविप्रलंभ का सुन्दर स्वरूप....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteनववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा जी.
नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteशुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
ReplyDeleteआपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|
नव वर्ष मंगलमय हो !
ReplyDeleteबहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ....
सुन्दर प्रस्तुति|
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ .....
sundar prastuti
ReplyDeleteOn successful registration for CLAT 2023 exam, CLAT ONLINE FORM you will receive a confirmation email and SMS on your registered email ID and mobile number.
ReplyDeleteielts test detailsis best suited for people who wish to live and work abroad in an English-speaking country. It mainly focuses on assessing a person’s proficiency, confidence and comfort when communicating in English in daily situations that they are likely to encounter.
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