बोल सखी मैं किस विधि जीऊँ
जीवन हाला किस विधि पीऊँ
प्रिय मेरे ने कदर न जानी
पागल भई मैं हुई दीवानी
किस विध मन के ज़ख्म को सीऊं
बोल सखी मैं किस विधि जीऊँ
मनमीत मेरे ओ प्राण प्यारे
सपने तोड़ गए तुम सारे
बिखर गयी वादों की माला
टूट गया प्रेम का प्याला
मिट गया सब, एक मैं ही बची हूँ
बोल सखी मैं किस विधि जीऊँ
अंखिया उन दर्शन की प्यासी
मैं हूँ जिन चरणों की दासी
जाने किसकी याद में खोये
सखी वो भूल गए है मोहे
अब कैसे उनकी सुध बुध लिऊ
बोल सखी मैं किस विधि जीऊँ
जीवन हाला किस विधि पीऊँ
प्रिय मेरे ने कदर न जानी
पागल भई मैं हुई दीवानी
किस विध मन के ज़ख्म को सीऊं
बोल सखी मैं किस विधि जीऊँ
मनमीत मेरे ओ प्राण प्यारे
सपने तोड़ गए तुम सारे
बिखर गयी वादों की माला
टूट गया प्रेम का प्याला
मिट गया सब, एक मैं ही बची हूँ
बोल सखी मैं किस विधि जीऊँ
अंखिया उन दर्शन की प्यासी
मैं हूँ जिन चरणों की दासी
जाने किसकी याद में खोये
सखी वो भूल गए है मोहे
अब कैसे उनकी सुध बुध लिऊ
बोल सखी मैं किस विधि जीऊँ
बोल सखी मैं किस विधि जीऊँ
ReplyDeleteजीवन हाला किस विधि पीऊँ
अरे वाह....... सुंदर कविता...
लेकिन सैनी साहब, छोरी ने पटरी से उठा दो..
बोल सखी मैं किस विधि जीऊँ
ReplyDeleteजीवन हाला किस विधि पीऊँ.... बहुत बहुत ही खुबसूरत अभिवयक्ति....
बहुत ही खुबसूरत अभिवयक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeleteसखी जब बतायेगी तो बतायेगी, हम बता रहे हैं कि रेल की पटरी से उठिये:)
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है दीपक, पोस्ट दर पोस्ट लेखन निखार पर है। शुभकामनायें।
विरह को खूबसूरती से ब्यान करती कविता. लेकिन विरह में अधिक देर तक रहना अच्छा नहीं.
ReplyDeleteक्लासिकल टच के साथ गहरी भावाभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteसुन्दर विरह काव्य ....बधाई
ReplyDeleteउम्दा सोच
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ....गहरी भावाभिव्यक्ति!!
beautiful creation...loving it...
ReplyDeleteखूबसूरत अभिवयक्ति............
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विरह गीत..
ReplyDeleteपीड़ा है छंद में!
ReplyDeleteआशीष
--
मैंगो शेक!!!
विरह की पीड़ा को सुन्दर प्रकार से अभिव्यक्त किया है आपने.
ReplyDeleteनायिका के मार्मिक शब्द दिल को छूते हैं.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
एक मर्मस्पर्शी रचना |
ReplyDeleteबधाई
आशा
बहुत खूब ....शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteआज दुबारा पढी कविता, और फिर जी चाहा कि कमेंट लिखूं। लेकिन क्या लिखूं, यह समझ नहीं आ रहा। बस इतना कहूंगा कि मन को छू गये भाव।
ReplyDeleteखूबसूरत अभिवयक्ति...........
ReplyDeleteप्रेमपुर्ण रचना
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