जिंदगी खिलती है गुलज़ार बनके
तुम देखो तो इसको प्यार करके
तुम्हारे भी नाज़ उठाएगा कोई
तुम देखो तो कभी इकरार करके
मुंह मोडना जिंदगी से कोई बात नही
खुश रहो हर गम से दो चार करके
अपनी जिंदगी को तुमने जाना ही कब है
तुमने देखा ही कहाँ कभी प्यार करके
कोई शख्स है तुम्हारी जरूरत है जिसे
सपने तुम्ही से है जिसके संसार भर के
तुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है
देखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के
तुम देखो तो इसको प्यार करके
तुम्हारे भी नाज़ उठाएगा कोई
तुम देखो तो कभी इकरार करके
मुंह मोडना जिंदगी से कोई बात नही
खुश रहो हर गम से दो चार करके
अपनी जिंदगी को तुमने जाना ही कब है
तुमने देखा ही कहाँ कभी प्यार करके
कोई शख्स है तुम्हारी जरूरत है जिसे
सपने तुम्ही से है जिसके संसार भर के
तुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है
देखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के
बिलकुल सही कहा आपने...
ReplyDeleteमुंह मोडना जिंदगी से कोई बात नही
ReplyDeleteखुश रहो हर गम से दो चार करके
दीपक जी आपकी कविता की सादगी मन मोह ले गई. सुंदर.
हाँ आपकी सूचना के लिए कि अब मैं केवल इस ब्लॉग पर लिखता हूँ. आपका यहाँ स्वागत हैं - http://meghnet.blogspot.com/
बहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteसपने तुम्ही से है जिसके संसार भर के
ReplyDeleteतुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है
वाह
सुखी और सार्थक जीवन दर्शन प्रस्तुत करती सुन्दर रचना......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने.
ReplyDeleteतुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है
देखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
बहुत खूब
ReplyDeleteदीपक जी!
ReplyDeleteप्रेरक कविता!!
बेहद प्यारी रचना।
ReplyDeleteMan ko chu gayi apki ye rachna........
ReplyDeleteJai hind jai bharat
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,
ReplyDeleteबड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletebahut sundar rachna.aabhar
ReplyDeleteकोई शख्स है तुम्हारी जरूरत है जिसे
ReplyDeleteसपने तुम्ही से है जिसके संसार भर के
तुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है
देखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के
बहुत बढ़िया...
वाकई ....मैं आपके साथ सहमत हूँ ! शुभकामनायें !
ReplyDelete.
ReplyDeleteदीपक जी
बहुत अच्छी बात कही है आपने -
मुंह मोड़ना ज़िंदगी से कोई बात नही
ख़ुश रहो हर ग़म से दो चार करके
सच है, परिस्थितियों का सामना करके ही ख़ुशियां प्राप्त की जा सकती हैं … बहुत ख़ूब !
प्यारी रचना के लिए आभार !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
मुंह मोडना जिंदगी से कोई बात नही
ReplyDeleteखुश रहो हर गम से दो चार करके....
bahut khoob sir
is baar to badi achchhi kavitayen padhne ko mil rahi hain.. dhanyavaad.
ReplyDeletebahut sundar !
ReplyDeleteतुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है
ReplyDeleteदेखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के
bahut sundar...
खुश रहो हर गम से दो चार करके
ReplyDeleteअपनी जिंदगी को तुमने जाना ही कब है baat gahri aur sundar hai ,rakhi perv ki badhai
बहुत उम्दा बात कही!!
ReplyDeleteनमस्कार....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
वहा से मेरे अन्य ब्लाग लिखा है वह क्लिक करके दुसरे ब्लागों पर भी जा सकते है धन्यवाद्
MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
वाह .. क्या बात कही है .. मज़ा आ गया पढ़ के दीपक जी ..
ReplyDeleteदीपक भाई, अभी तक की तुम्हारी सबसे खूबसूरत रचना लगी ये। बधाई।
ReplyDeletebehah pasand aayee......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दीपकजी !
ReplyDeletehttps://www.facebook.com/photo.php?fbid=1806641544843&set=o.112879034459&type=1&ref=nf
कल 30/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत बढ़िया रचना....
ReplyDeleteहार्दिक बधाई।
क्या बात है बहुत सुन्दर !
ReplyDeletebas mere paas ye hi shabd hain vaah...vaah...vaah
ReplyDeleteखूबसूरत रचना
ReplyDeleteजिंदगी खिलती है गुलज़ार बनके
ReplyDeleteतुम देखो तो इसको प्यार करके
सच कहा ... ज़िन्दगी से प्यार करोगे तभी खुशियाँ कदम चूमेंगी ....सुन्दर भाव !
जिंदगी खिलती है गुलज़ार बनके
ReplyDeleteतुम देखो तो इसको प्यार करके.waah bahut khoob , behad khoobsurat rachna ........badhai.