Wednesday, July 27, 2011

जिंदगी खिलती है गुलज़ार बनके

जिंदगी खिलती है गुलज़ार बनके 
तुम देखो तो इसको  प्यार करके
तुम्हारे भी नाज़ उठाएगा कोई 
तुम देखो तो कभी इकरार करके 
मुंह मोडना जिंदगी से कोई बात नही 
खुश रहो हर गम से दो चार करके
अपनी जिंदगी को तुमने जाना ही कब है 
तुमने देखा ही कहाँ कभी प्यार करके 
कोई शख्स है तुम्हारी जरूरत है जिसे 
सपने तुम्ही से है  जिसके संसार भर के 
तुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है 
देखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के 

35 comments:

  1. बिलकुल सही कहा आपने...

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  2. मुंह मोडना जिंदगी से कोई बात नही
    खुश रहो हर गम से दो चार करके

    दीपक जी आपकी कविता की सादगी मन मोह ले गई. सुंदर.
    हाँ आपकी सूचना के लिए कि अब मैं केवल इस ब्लॉग पर लिखता हूँ. आपका यहाँ स्वागत हैं - http://meghnet.blogspot.com/

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  3. बहुत सुन्दर रचना ...

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  4. सपने तुम्ही से है जिसके संसार भर के
    तुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है


    वाह

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  5. सुखी और सार्थक जीवन दर्शन प्रस्तुत करती सुन्दर रचना......

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  6. बहुत सुन्दर लिखा है आपने.


    तुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है
    देखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  7. बहुत खूब

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  8. दीपक जी!
    प्रेरक कविता!!

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  9. बेहद प्यारी रचना।

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  10. Man ko chu gayi apki ye rachna........
    Jai hind jai bharat

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  11. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  12. बहुत बढ़िया,
    बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....

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  13. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  14. कोई शख्स है तुम्हारी जरूरत है जिसे
    सपने तुम्ही से है जिसके संसार भर के
    तुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है
    देखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के

    बहुत बढ़िया...

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  15. वाकई ....मैं आपके साथ सहमत हूँ ! शुभकामनायें !

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  16. .




    दीपक जी


    बहुत अच्छी बात कही है आपने -
    मुंह मोड़ना ज़िंदगी से कोई बात नही
    ख़ुश रहो हर ग़म से दो चार करके

    सच है, परिस्थितियों का सामना करके ही ख़ुशियां प्राप्त की जा सकती हैं … बहुत ख़ूब !

    प्यारी रचना के लिए आभार !


    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  17. मुंह मोडना जिंदगी से कोई बात नही
    खुश रहो हर गम से दो चार करके....
    bahut khoob sir

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  18. is baar to badi achchhi kavitayen padhne ko mil rahi hain.. dhanyavaad.

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  19. तुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है
    देखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के
    bahut sundar...

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  20. खुश रहो हर गम से दो चार करके
    अपनी जिंदगी को तुमने जाना ही कब है baat gahri aur sundar hai ,rakhi perv ki badhai

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  21. बहुत उम्दा बात कही!!

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  22. नमस्कार....
    बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें

    मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में........

    आपका ब्लागर मित्र
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    MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

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  23. वाह .. क्या बात कही है .. मज़ा आ गया पढ़ के दीपक जी ..

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  24. दीपक भाई, अभी तक की तुम्हारी सबसे खूबसूरत रचना लगी ये। बधाई।

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  25. बहुत सुन्दर दीपकजी !
    https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1806641544843&set=o.112879034459&type=1&ref=nf

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  26. कल 30/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  27. बहुत बढ़िया रचना....
    हार्दिक बधाई।

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  28. क्या बात है बहुत सुन्दर !

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  29. bas mere paas ye hi shabd hain vaah...vaah...vaah

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  30. जिंदगी खिलती है गुलज़ार बनके
    तुम देखो तो इसको प्यार करके

    सच कहा ... ज़िन्दगी से प्यार करोगे तभी खुशियाँ कदम चूमेंगी ....सुन्दर भाव !

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  31. जिंदगी खिलती है गुलज़ार बनके
    तुम देखो तो इसको प्यार करके.waah bahut khoob , behad khoobsurat rachna ........badhai.

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