Wednesday, July 13, 2011

तो क्या करें

उन की याद आने से होती है आँख नम, तो क्या करें
चलते हुए उनकी गली में रुक जाते है कदम, तो क्या करें
उन को भूल जाने की सलाहे तो बहुत मिली
पर ये दिल न माना बेशरम, तो क्या करे
यूं तो चाहने वाले हमारे भी बहुत है
पर उनके ही दीवाने हुए हम, तो क्या करे
एक नज़र वो हमें देखते भी नही 
उनके दीदार की ही फिराक में रहे हम, तो क्या करे  
 हम फोन भी करे तो वो उठाते नही 
उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे

28 comments:

  1. हम फोन भी करे तो वो उठाते नही
    उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे
    ........फोन नहीं उठाते तो क्या करे भाई

    ReplyDelete
  2. भय्या दीपक जी,
    वे हार्दिक शगुन की मम्मी जी हैं तब तो ठीक है.
    वर्ना हम भी आपको उन्हें भूल जाने की सलाह ही देंगें.

    वैसे,आपकी रचना जोरदार है.
    इसमें कोई शक नहीं.
    सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.

    ReplyDelete
  3. क्या बात है................

    ReplyDelete
  4. हम फोन भी करे तो वो उठाते नही
    उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे

    सही है. मिस्ड कॉल में बहुत दम होता है यदि कालबैक करने पर कोई फोन ही न उठाए. प्रेम की अत्याधुनिक स्थिति की रचना कर दी आपने. खूब.

    ReplyDelete
  5. कदम रुकें तो समझो प्यार है।

    ReplyDelete
  6. भावानुभूति सराहनीय है ,/कोशिश जारी रहे तो सुन्दर ...

    ReplyDelete
  7. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    ReplyDelete
  8. अब तो भूल जाने में ही भलाई है !!

    ReplyDelete
  9. भाई अब कुछ भी नहीं किया जा सकता ..... बाकि अंशुमाला जी ठीक कह रही है

    ReplyDelete
  10. भाई ! सावन बीत जाने दो...सब ठीक हो जायेगा ...हा हा हा
    शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  11. सच है बहुत बार आप कुछ नहीं कर पाते ... बस उन्ही के अनुसार चलना पड़ता है ...

    ReplyDelete
  12. उनके दीदार की ही फिराक में रहे हम, तो क्या करे
    हम फोन भी करे तो वो उठाते नही
    उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे,,,,,,दिल का कबूतर अब तो उड़ गया लाख कोशिश के बाद भी हाथ नहीं आता अब तुम ही बताओ हम क्या करे ,,,,,,बहुत खूब .....

    ReplyDelete
  13. Wah..
    Kya bat hai janab
    Bahut Achche

    ReplyDelete
  14. एक नज़र वो हमें देखते भी नही
    उनके दीदार की ही फिराक में रहे हम, तो क्या करे
    हम फोन भी करे तो वो उठाते नही
    उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे..

    Quite realistic !

    .

    ReplyDelete
  15. क्या लिखा है आपने .........बहुत खूब

    ReplyDelete
  16. इंतज़ार करें ....
    हार्दिक शुभकामनायें ..

    ReplyDelete
  17. उन की याद आने से होती है आँख नम, तो क्या करें
    चलते हुए उनकी गली में रुक जाते है कदम, तो क्या करें
    उन को भूल जाने की सलाहे तो बहुत मिली
    पर ये दिल न माना बेशरम, तो क्या करे
    bahut hi badhiya...
    jai hind jai bharat

    ReplyDelete
  18. बेहतरीन शब्‍द रचना ।

    ReplyDelete
  19. दीपक भाई ,
    बहुत खूब लिखा है आपने.
    अब क्या करे कोई,
    कोशिश करते रहिये.

    ReplyDelete
  20. सशक्त और सार्थक रचना

    ReplyDelete
  21. bhai ham to aisi sundar kavita nahi likh paate hain,,,,to kya karein :)

    ReplyDelete
  22. हम फोन भी करे तो वो उठाते नही
    उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे


    ऐसे में किया भी क्या जा सकता है ...:)

    दीपक जी
    अधिक नहीं , इतना तो करें की उन की याद आने से आँख नम न होने दें यार !
    आस पर दुनिया टिकी है ... ;)

    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  23. behad sundar rachna............

    ReplyDelete
  24. वाह ! उनकी मिस काल के दम का क्या कहना ...

    ReplyDelete