उन की याद आने से होती है आँख नम, तो क्या करें
चलते हुए उनकी गली में रुक जाते है कदम, तो क्या करें
उन को भूल जाने की सलाहे तो बहुत मिली
पर ये दिल न माना बेशरम, तो क्या करे
यूं तो चाहने वाले हमारे भी बहुत है
पर उनके ही दीवाने हुए हम, तो क्या करे
एक नज़र वो हमें देखते भी नही
उनके दीदार की ही फिराक में रहे हम, तो क्या करे
हम फोन भी करे तो वो उठाते नही
उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे
हम फोन भी करे तो वो उठाते नही
ReplyDeleteउनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे
........फोन नहीं उठाते तो क्या करे भाई
ला-जवाब" जबर्दस्त!!
ReplyDeleteभय्या दीपक जी,
ReplyDeleteवे हार्दिक शगुन की मम्मी जी हैं तब तो ठीक है.
वर्ना हम भी आपको उन्हें भूल जाने की सलाह ही देंगें.
वैसे,आपकी रचना जोरदार है.
इसमें कोई शक नहीं.
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.
वाह! बहुत खूब...
ReplyDeleteक्या बात है................
ReplyDeleteहम फोन भी करे तो वो उठाते नही
ReplyDeleteउनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे
सही है. मिस्ड कॉल में बहुत दम होता है यदि कालबैक करने पर कोई फोन ही न उठाए. प्रेम की अत्याधुनिक स्थिति की रचना कर दी आपने. खूब.
कदम रुकें तो समझो प्यार है।
ReplyDeleteभावानुभूति सराहनीय है ,/कोशिश जारी रहे तो सुन्दर ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अब तो भूल जाने में ही भलाई है !!
ReplyDeleteभाई अब कुछ भी नहीं किया जा सकता ..... बाकि अंशुमाला जी ठीक कह रही है
ReplyDeleteभाई ! सावन बीत जाने दो...सब ठीक हो जायेगा ...हा हा हा
ReplyDeleteशुभकामनायें!
सच है बहुत बार आप कुछ नहीं कर पाते ... बस उन्ही के अनुसार चलना पड़ता है ...
ReplyDeleteउनके दीदार की ही फिराक में रहे हम, तो क्या करे
ReplyDeleteहम फोन भी करे तो वो उठाते नही
उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे,,,,,,दिल का कबूतर अब तो उड़ गया लाख कोशिश के बाद भी हाथ नहीं आता अब तुम ही बताओ हम क्या करे ,,,,,,बहुत खूब .....
बहुत ही बढ़िया....
ReplyDeleteachchi kavita,badhiya shabd sayyojana ,!!! mubarak ho
ReplyDeleteWah..
ReplyDeleteKya bat hai janab
Bahut Achche
एक नज़र वो हमें देखते भी नही
ReplyDeleteउनके दीदार की ही फिराक में रहे हम, तो क्या करे
हम फोन भी करे तो वो उठाते नही
उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे..
Quite realistic !
.
क्या लिखा है आपने .........बहुत खूब
ReplyDeleteइंतज़ार करें ....
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें ..
उन की याद आने से होती है आँख नम, तो क्या करें
ReplyDeleteचलते हुए उनकी गली में रुक जाते है कदम, तो क्या करें
उन को भूल जाने की सलाहे तो बहुत मिली
पर ये दिल न माना बेशरम, तो क्या करे
bahut hi badhiya...
jai hind jai bharat
बेहतरीन शब्द रचना ।
ReplyDeleteदीपक भाई ,
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने.
अब क्या करे कोई,
कोशिश करते रहिये.
सशक्त और सार्थक रचना
ReplyDeletebhai ham to aisi sundar kavita nahi likh paate hain,,,,to kya karein :)
ReplyDeleteहम फोन भी करे तो वो उठाते नही
ReplyDeleteउनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे
ऐसे में किया भी क्या जा सकता है ...:)
दीपक जी
अधिक नहीं , इतना तो करें की उन की याद आने से आँख नम न होने दें यार !
आस पर दुनिया टिकी है ... ;)
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
behad sundar rachna............
ReplyDeleteवाह ! उनकी मिस काल के दम का क्या कहना ...
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