उन जख्मो को कुरेदने में मज़ा आता है
जख्म जो भी तेरी याद दिला जाता है
छेड़ता हूँ जख्मो को, तुम्हे भूल न जाऊ कहीं
वक्त का मरहम हर जख्म सुखा जाता है
बंध भी जाते किसी रिश्ते में तो क्या होता
प्यार पे आ के ही हर रिश्ता टिक जाता है
तुमसे अलग हो के मैं जी तो रहा हूँनाम कृष्ण का अब भी राधा के बाद आता है
नाम कृष्ण का अब भी राधा के बाद आता है... bhut khubsurat...
ReplyDeleteप्यार और जख्म ,,,,,.....प्यार की सुरुआत ही जख्म से होती है ,
ReplyDeleteहमें लगती है आँख सुखी हुयी पर हर बक्त रोती रहती है ,
हम समझा लेते है दिल को पर भला दिल से कभी धड़कन भी जुदा होती हे ,
हमें लगती है खूबसूरत चांदनी हर वक़्त,.पर उसकी ख़ामोशी कभी हमने समझी है ,,,,,,न में पगला हूँ और न वो पगली है >><<........,
सच है रिश्ता प्यार से ही होता है ... जैसे की राधा कृष्ण का ...
ReplyDeleterishton kee buniyad hee pyar hai .
ReplyDeletevery subtle meaning conveyd by your post. V GoooD.
ReplyDeleteवाह, बहुत खूब।
ReplyDeleteछेड़ता हूँ जख्मो को, तुम्हे भूल न जाऊ कहीं
ReplyDeleteवक्त का मरहम हर जख्म सुखा जाता है
वक्त ज़ख़्म को सुखा जाता है और उसे ही कुरेदा जाता है. सुदंर कविता.
आपका आभार सैनी जी कि आप मेरे ब्लॉग पर पधारे. यह आपको बताना मैं आवश्यक समझता हूँ कि उस ब्लॉग को मैंने अपडेट करना लगभग बंद कर दिया है. आपका इस ब्लॉग पर स्वागत होता रहेगा.
ReplyDeletehttp://meghnet.blogspot.com/
पुराने ज़ख्म रह रह कर सालते हैं, धीरे धीरे इनकी आदत पड जाती है। दर्द के दवा बनने की बात सुनी होगी - हद से बढ़ जाने के बाद ऐसा भी हो जाता है।
ReplyDelete'छेड़ता हूँ ज़ख्मों को ,तम्हें भूल न जाऊँ कहीं '
ReplyDeleteवाह .......अंतर्भावों की सजीव प्रस्तुति
वक्त का मरहम हर जख्म सुखा जाता है
ReplyDelete..... प्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDeleteअस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
वाह...इस अनूठी रचना के लिए बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
Emotions are beautifully expressed !
ReplyDeleteHan ji kuch jakhm yese hi hote hai jinhe humase kuredana padta hai isase pajale ki wo sookh jaye..
ReplyDeletesundar rachana.............
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