बातो ही बातो में जब बात आयी तेरी
यादों से तेरी महकी यार तन्हाई मेरी
रंज नहीं दिल में तू पास नहीं मेरे
लगने लगी है प्यारी अब जुदाई तेरी
बड़े प्यारे लगते हो मिलते हो ख्वाबो में
नींद से हो गयी जैसे कुडमाई मेरी
बेशक हो दूर मुझसे पर दूर नहीं लगते
मेरे दिल में देती है धड़कन सुनायी तेरी
नाप ली दुनिया ने गहराई समुन्दर की
देखेगी क्या वो चाहत की गहराई मेरी
तरसता है क्यों "दीपक" ज्योति के लिए
कब तक रहेगी दूर वो है परछाई मेरी
नींद से हो गयी जैसे गुड़माई मेरी
ReplyDeleteये " गुडमाई" या "कुडमाई" ( सगाई )
इस लाइन ने कुछ याद दिला दिया एक मित्र परीक्षाओ के दिनों में ये लाइने कहा करती थी |
अंशुमाला जी धन्यवाद
ReplyDeleteगलती सुधार ली गयी है
आभार
@लगने लगी है प्यारी अब जुदाई तेरी
ReplyDeletekya baat hai saini sahib, pyaar ka ye aalam hai ki ab judaai bhi pyaari lagne lagi hai....
tere rang mein rangi main..... dowo ek rang hoye.
'नाप ली दुनिया ने गहराई समुन्दर की
ReplyDeleteदेखेगी क्या वो चाहत की गहराई मेरी '
वाह ! गज़ब का शेर .....
तरसता है क्यों "दीपक" ज्योति के लिए
ReplyDeleteदीपक का
प्रकाश के लिए तरसना ही
ग़ज़ल है...
दिलचस्प रचना .
बेशक हो दूर मुझसे पर दूर नहीं लगते
ReplyDeleteमेरे दिल में देती है धड़कन सुनायी तेरी...bhut hi acchi kavita hai...
कब तक रहेगी दूर वो है परछाईं मेरी ।
ReplyDeleteदीपक संग ज्योति का शानदार मेल दिखाती प्रस्तुति...
वाह!! विरह में भी आनंदानुभव!!
ReplyDeleteऔर आशा का दीपक भी……… परछाई की चाह में………
शानदार
तरसता है क्यों "दीपक" ज्योति के लिए
कब तक रहेगी दूर वो है परछाई मेरी
यह 'ज्योति' कौन है?;)
: अस्थिर आस्थाओं के ठग
नाप ली दुनिया ने गहराई समुन्दर की
ReplyDeleteदेखेगी क्या वो चाहत की गहराई मेरी
कम से कम कोशिश करे वह, अच्छी सोच, बधाई....
क्या बात है दीपक जी. अपनी बात खूबसूरती से लिख दी आपने.
ReplyDeleteबेहतरीन.
ReplyDeleteबहुत खूब दीपक जी.
ReplyDeleteबड़े प्यारे लगते हो मिलते हो ख्वाबो में
नींद से हो गयी जैसे कुडमाई मेरी
नयापन लिए हुए है यह शेर.
तरसता है क्यों "दीपक" ज्योति के लिए
कब तक रहेगी दूर वो है परछाई मेरी
गुदगुदा गया दीपक का ज्योति के लिए तरसना.
सुन्दर ग़ज़ल.
सलाम.
सच कहा आपने।
ReplyDeleteहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
जानिए धर्म की क्रान्तिकारी व्याख्या।
बहुत गजब की अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeleteनाप ली दुनिया ने गहराई समुन्दर की
ReplyDeleteदेखेगी क्या वो चाहत की गहराई मेरी
तरसता है क्यों "दीपक" ज्योति के लिए
कब तक रहेगी दूर वो है परछाई मेरी
बहुत खूब
बेशक हो दूर मुझसे पर दूर नहीं लगते
ReplyDeleteमेरे दिल में देती है धड़कन सुनायी तेरी
yaad is ahsaas ko jagaaye rahti hai ,laazwaab .
नाप ली दुनिया ने गहराई समुन्दर की
ReplyDeleteदेखेगी क्या वो चाहत की गहराई मेरी
क्या बात है.वाह वाह.
अरे वाह दीपक जी.. आपने तो रोमांटिसिज़्म की नयी परिभाषा ही गढ़ दी.. बहुत ख़ूबसूरत!!
ReplyDeleteनाप ली दुनिया ने गहराई समुन्दर की
ReplyDeleteदेखेगी क्या वो चाहत की गहराई मेरी ...
waah waah waah
Awesome !
.
deepak joognu chand sitare ek se hai
ReplyDeleteyani sare ishq ke mare ek se hai
deepak ji bahut badhiya likh
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteतरसता है क्यों "दीपक" ज्योति के लिए ...
क्योंकि चिराग तले अन्धेरा ...
वाह... बहुत खूब...
ReplyDeleteकिस पंक्ति को, किस शब्द को सबसे बेहतर कहूँ... पता नहीं... सब एक से बढ़कर एक...
वाह जी बहुत सुंदर कविता, धन्यवाद
ReplyDeleteवाह
ReplyDelete@ अंशुमाला जी
ReplyDelete@ दीपक बाबा जी
@ सुरेन्द्र सिंह “झंझट“ जी
@ दानिश जी
@ आहुति जी
@ सुशील बाकलीवाल जी
ब्लाग पर आकर मेरा उत्साह बढाने के लिए सादर धन्यवाद
@ सुज्ञ जी
ReplyDelete@ सुनील कुमार जी
@ भूषण जी
@ समीर लाल जी
@ विशाल जी
@ रजनीश जी
ब्लाग पर आकर मेरा उत्साह बढाने के लिए सादर धन्यवाद
@ पटाली जी
ReplyDelete@ यश चंचल जी
@ ज्योति जी
@ कुवँर कुसुमेश जी
@ सम्वेदना के स्वर जी
@ डा0 दिव्या जी
ब्लाग पर आकर मेरा उत्साह बढाने के लिए सादर धन्यवाद
@ अरीबा जी
ReplyDelete@ संजय भास्कर जी
@ स्मार्ट इंडियन जी
@ पूजा जी
@ राज भाटिया जी
@ काजल कुमार जी
ब्लाग पर आकर मेरा उत्साह बढाने के लिए सादर धन्यवाद
तरसता है क्यों "दीपक" ज्योति के लिए
ReplyDeleteकब तक रहेगी दूर वो है परछाई मेरी
बहुत गहन भाव की अभिव्यक्ति आपका आभार
nice
ReplyDeleteneend se ho gai kudmaai meri.....waah!!
ReplyDeletewaise neend to bahana hai...kudmaai to neend me aane sapne me hui thi.............
"बातो ही बातो में जब बात आयी तेरी
ReplyDeleteयादों से तेरी महकी यार तन्हाई मेरीबहुत रुमानी ख्याल हैं बबुआ:))"
शानदार गज़ल, बहुत खूबसूरत।
वैसे ज्योति का वजूद दीपक से होता है, इसलिये रोशन रहो। शुभकामनायें।
बेशक हो दूर मुझसे पर दूर नहीं लगते
ReplyDeleteमेरे दिल में देती है धड़कन सुनायी तेरी...
प्यार का असर हो रहा है ... कमाल का लिखा है ...
nice
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