कभी खीर, कभी अचार जानेमन
बड़ा अजीब है तेरा प्यार जानेमन
कभी हंसाती, कभी आंख दिखाती
तू है या गठबंधन की सरकार जानेमन
घर बुला कर, चाय भी न पिलाती
करती हो कितना अत्याचार जानेमन
मिलन की गर्मी, कभी बिछड़न की सर्दी
प्यार है तेरा या कोई बुखार जानेमन
चांद के चकोर, कभी धूप के आशिक
रंग बदलता ये स्वप्न संसार जानेमन
एक तेरी छुअन से बजने लगता
मेरे मन का सितार जानेमन
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