Thursday, September 24, 2020

बनकर मस्त मलंगा

रे मन उसके लिए न सोच
कर ली जिसने तुझसे ओट
कर दे तू भी उसपे चोट                 
बनकर मस्त मलंगा
       मिट्टी बातो पे उसकी डाल
       खुश रह के दिखा कमाल
       गली में उसकी मचा धमाल
       बनकर मस्त मलंगा
 थी बस उसके मन मे खोट
  तू क्यों दिल पे लेता चोट
  उड़ाना उसकी शादी में नोट
  बनकर मस्त मलंगा
‌     उसको करने दे मनमानी
            दुनिया है ये आनी जानी
            खत्म कर दे अब ये कहानी
            बनकर मस्त मलंगा
अपने मन से करले बात
अब भड़के ना तेरे जज्बात
कर जीवन की नई शुरूआत
बनकर मस्त मलंगा
         


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