Thursday, November 1, 2018

सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो,

शब्दो मे कैसे कह दूं तुमको,मुझको मौन ही रहने दो,
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो,
         अंतिम मिलन है ये अपना, है अंतिम ये बात
         दिन प्रणय का ढलने लगा, अब होगी विरह की रात
        मेरे कारण न दुखी होना, न करना कोई संताप
        समय का मरहम भर देगा, हर जख्म को अपने आप
रोकना मत आंसू अपने, इनको बाहर बहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो
        सोना भी जो शरीर को काटे, उस गहने को फोड़ दो
        रिस्ता भी जो टेंशन बांटे, उस रिश्ते को तोड़ दो
        तेरा मेरा रिश्ता पावन, पर तुमको बहुत डराता है
        रात दिन तेरे सर को खाये, तुझको बहुत सताता है
प्रेम किया है मन से तो, बस इसे मन में ही रहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो
       अधूरा रहा प्रेम हमेशा, पूरा हुआ किसका कब
       छोड़ो सोचना मेरे बारे में, प्रियतम मेरे तुम भी अब
       किसी के बिना न कोई मरता, दुनिया मे जीते सब
       अपने अपनो पर ध्यान लगाओ भली करेगा तेरी रब
पीड़ा होगी थोड़ी बहुत, इस पीड़ा को सहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो
        यूँ डर डर के जीना भी है क्या कोई जीना
        घुट घुट आंहे भरना और अपने आँसू पीना
       अपने मन की भावनाओं का अब गला दबा दो
       बेहतर यही होगा कि तुम अब मुझे भूला दो
प्रेम मन मे अमिट रहेगा, दुरियों को रहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो

        

4 comments:

  1. दीपोत्सव की अनंत मंगलकामनाएं !!

    ReplyDelete
  2. my website is mechanical Enginnering related and one of best site .i hope you are like my website .one vista and plzz checkout my site thank you, sir.

    ReplyDelete
  3. Very nice
    http://shamumeeddi.blogspot.com

    ReplyDelete