छूटेगा साथ तेरा तो बिखर ही जाऊंगा
दूर रह के तुझसे ना जीवन बिताऊँगा
तुझ से बिछड़ के गर मैं मर ही गया तो
भूत बनके रोज तेरी खटिया हिलाऊंगा
जब भी देंगे इम्तिहान, करेंगे पर्चा अपना अपना
तभी तो होगा, जब भी होगा चर्चा अपना अपना
तुम मेरे और मै तुम्हारा तो दिल से है मेरे यार
दोस्ती अपनी पक्की मगर खर्चा अपना अपना
वो मेरी जान हमेशा मुझसे हंस के बोलती है
बहुत प्यार करती है, और हर राज खोलती है
जीवन के झपेटो ने व्यापारी बना दिया उसे
अब प्यार के तोहफे भी वो पैसों में तोलती है
nice
ReplyDeletehttp://daily1step.com/panchatantra-stories-in-hindi-with-moral-values/