Sunday, October 14, 2018

मुक्तक

छूटेगा साथ तेरा तो बिखर ही जाऊंगा
दूर रह के तुझसे ना जीवन बिताऊँगा
तुझ से बिछड़ के गर मैं मर ही गया तो
भूत बनके रोज तेरी खटिया हिलाऊंगा

जब भी देंगे इम्तिहान, करेंगे पर्चा अपना अपना
तभी तो होगा, जब भी होगा चर्चा अपना अपना
तुम मेरे और मै तुम्हारा तो दिल से है मेरे यार
दोस्ती अपनी पक्की  मगर खर्चा अपना अपना

वो मेरी जान हमेशा मुझसे हंस के बोलती है
बहुत प्यार करती है, और हर राज खोलती है
जीवन के झपेटो ने व्यापारी बना दिया उसे
अब प्यार के तोहफे भी वो पैसों में तोलती है

1 comment:

  1. nice

    http://daily1step.com/panchatantra-stories-in-hindi-with-moral-values/

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