जाने कैसी ये अपनी तकदीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
तुझको मतलब था अपना मुझे अपना था
था अलग लेकिन हम दोनो का सपना था
तेरा दुख अलग था मेरी अलग पीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
तेरी मंजिल अलग थी मेरी ओर थी
कुछ पल को बंधी अपनी डोर थी
बड़ी प्यारी मगर उन पलों की तस्वीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
मैं रुक सकता था पर तुझे जाना था
अपने सपनो को पूरा तुझे कर आना था
प्रेम की राहों में यही जंजीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
तुझको जाते हुये ना मैंने टोका था
मुझको जाते हुये ना तूने रोका था
सुईया वक्त की थी या फिर तीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
Monday, February 5, 2018
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
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