भगीरथ ने की थी तपस्या
संभव करने असंभव को
उनके पुरखो की
अतृप्त आत्माओ की
प्यास बुझाने
उतर आना पड़ा था
गंगा को
झुक जाना पड़ा था भगवान् को
एक और भगीरथ
लगा है तपस्या में
लाना चाहता है लोकपाल की गंगा
करोडो अतृप्त भारतीयों के लिए
जिनकी आत्मा तड़प रही है
भ्रष्टाचार के प्रहार सहते
हमारे कंठ सूख रहे हैं
भ्रष्टाचारी मजे लूट रहे है
खुले सांड से घूम रहे है
आखिर कब तक ?
अब तो गंगा को आना ही पड़ेगा
तृप्त करने करोडो आत्माओ को
सरकार चाहे जितने जोर लगा ले
इन्द्र की तरह
चाहे जितने कोप बरसा ले
ये भगीरथ नहीं हटेगा
ला कर ही रहेगा गंगा को
हमारे कंठ सूख रहे हैं
ReplyDeleteभ्रष्टाचारी मजे लूट रहे है
खुले सांड से घूम रहे है
आखिर कब तक ?
बहुत अच्छी रचना
हाँ ! मै मन हूँ,
ReplyDeleteहजारे का |
बस इतना ही,
तो चाहा मैंने,
कि लोकतंत्र में,
हो विश्वास,
लोक का तंत्र में |
हो एहसास,
भरोसे का,
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है दीपक भाई - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
ReplyDeleteसच कहा है इस बार गगां को आना ही पड़ेगा लोगो की प्यास बुझाने।
ReplyDeleteखूबसूरत आशावादिता का एहसास देती पंक्तियाँ। मिशन की कामयाबी की कामना करते हैं।
ReplyDeleteअन्ना ही जीतेंगे ...शुभकामनायें !!
ReplyDeleteअन्ना जीत गए. जय हो..
ReplyDeleteलगता है ये गंगा भी शीघ्र अवतरित होने ही वाली है...
ReplyDeleteAnna ganga le aaye badhai ho
ReplyDeleteउनका भागीरत प्रयास सफल हुआ !
ReplyDeleteइन्द्र की तरह
ReplyDeleteचाहे जितने कोप बरसा ले
ये भगीरथ नहीं हटेगा
ला कर ही रहेगा गंगा को
lajwab likhne ka andaj
सुन्दर प्रतीक। भागीरथ की सफलता से पहले 60,000 पुरखे क्रोधाग्नि में भस्म हो चुके थे। मृत्यु आई पर संकल्प नहीं टूटा - काम तो होना ही था।
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत प्रस्तुति.
ReplyDeleteअन्ना जीत गए| उनका भागीरत प्रयास सफल हुआ|
ReplyDeleteउनका भागीरत प्रयास सफल हुआ.
ReplyDeletejee han ...aa hi gayi ganga ....safal hua prayas ...sunder rachna ke liye badhai
ReplyDeleteअन्ना हज़ारे
ReplyDeleteएक आह्वान है , एक आन्दोलन है
उनके द्वारा किये जा रहे इक पावन यज्ञ में
आपके ये पावन शब्द
पावन आहुति ही हैं ......
अभिवादन .
आपने एक सरल हृदय से कविता कह दी. अच्छी लगी. आंदोलन पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करता चलता हूँ.
ReplyDeleteतेरा आना भी धोखा था, तेरा जाना भी धोखा है
मेरा दिल तो न मानेगा, जो इन आँखों ने देखा है
धन्यवाद।
ReplyDeleteanna ki jeet par badhai ,jai ho .
ReplyDeleteएक सार्थक रचना। हार्दिक बधाई।
ReplyDelete............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
सही कहा आपने, आज हमें ऐसे सैकड़ों भागीरथों की जरूरत है
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
हमारे कंठ सूख रहे हैं
ReplyDeleteभ्रष्टाचारी मजे लूट रहे है
खुले सांड से घूम रहे है
आखिर कब तक ?...
यथार्थ के धरातल पर रची गयी एक सार्थक प्रस्तुति !
अन्ना का भागीरथ प्रयत्न और हमारी दुआयें दोनो ही सफ़लकाम हुए ।
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति .....
deepak ji
ReplyDeleteaapki ham sab ki ichha puri ho hi gai .aaj ke yug me ek aur bhagirath aapni koshish me kamyaab ho gaye .ganga ko punah aana hi pada .
सरकार चाहे जितने जोर लगा ले
इन्द्र की तरह
चाहे जितने कोप बरसा ले
ये भगीरथ नहीं हटेगा
ला कर ही रहेगा गंगा को
bahut abhut shubh kamnayen avam badhai
dhanyvaad
poonam
ये भगीरथ नहीं हटेगा
ReplyDeleteला कर ही रहेगा गंगा को
wah...kya baat hai.
बहुत जरुरी हो गया है अब इस curruption को रोकना.इसकी जडें बहुत नीचे तक समा चुकी है.
ReplyDeleteatal vishvas jataya hazaro lakho ne ise aastha me...hum sabheeko bhee ye tay karna hai ki apanee suvidhao ko maddenazar rakhte hum kaam karvane hetu kisee kee mutthee garm nahee karenge......niymo par chalenge.......aandolan safal tabhee hoga jab hum bhee imaandaree ko apnaenge.........Pardarshee rahenge ...tax kee choree nahee karenge......
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