रत्ती रत्ती तोल बिका हूँ
मैं अनमोल, बे मोल बिका हूँ
मेरे हाल को वो ही न समझे
जिनके लिए दिल खोल बिका हूँ
उनके प्रेम की कीमत भारी
देते देते जिंदगी गुजारी
ब्याज में सारी खुशियां दे दी
फिर भी बाकी रही उधारी
वो क्या जाने उनकी खातिर
मैं कोड़ियों के मोल बिका हूँ
प्यार ने अजब खेल दिखाये
मेरे ही न हुये मेरे हमसाये
और किसी को कहना क्या अब
जब अपने ही हो गए पराये
समझ न आये और लिखूँ क्या
मन के सब पन्ने खोल लिखा हूँ
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