गम की अंधेरी काली रातों में
बेमतलब, सब की बातों में
कोई प्रेम की बात निकलने दो
तब तक दीपक को जलने दो.
तोड़ा तुमने हर एक वादा
दिया कम, लेकर ज्यादा
अब हिसाब बराबर चलने दो
तब तक दीपक को जलने दो
रिस्तो ने ओढ़ी दूरियों की चादर
जमने लगा आंखों का सागर
अब अरमानो की बर्फ पिघलने दो
तब तक दीपक को जलने दो
मेरी आँखों मे आंसू तेरे
आंखे तेरी और सपने मेरे
कुछ ख्वाब यूँ ही और पलने दो
तब तक दीपक को जलने दो
सुन्दर
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