Friday, May 4, 2012

मैल

पैसा तो  हाथ  का मैल  है  (पुरानी कहावत ) 

बड़े वी आई पी मैल  हो ?
दिखाई  ही  नहीं देते,
किस  हाथ  पर  कितने चढ़े हो 
पता भी नहीं लग पाता 

जो दिन रात पसीना बहाता है 
दो रोटी के चक्कर में 
नहा भी नहीं पाता है 
हाथ धोना तो दूर 
मुंह भी बस इक बार धुल पाता है 
उसके साथ क्या  पंगा है तुम्हारा ?
क्या चिढ है उसके हाथ से  
जो तुम दूर भागते हो 

वे जो महंगे हैंड वाश लगाते है 
बीस बार हाथ धोते है 
दो बार नहाते है 
मेहनत से वास्ता नहीं 
बस हराम की खाते है 
घोटाला करके 
सबके हिस्से का मैल 
अपनी मुठ्ठी में दबा जाते है 
उनसे तो गहरी दोस्ती है तुम्हारी ?

सच बताओ तुम मैल ही हो ?
या हमारे बुढ्ढे हमें पागल बना गए ?

23 comments:

  1. हाथ की मैल है, शायद इसीलिये उजले हाथों में ज्यादा चमकता है.

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  2. बहुत ही जिद्दी मैल है ... पसीने वालों के हाथों से तो नहीं जाती ...
    अच्छी व्यंग रचना है ...

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  3. बहुत खूब सर!


    सादर

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  4. Paisa aesa mail hai jise dho kar koi khush nahin hota...:-))

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  5. कमाल का मैल है ...
    शुभकामनायें आपको !

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  6. पक्की बात है कि हमारे बुढ्ढे हमें पागल बना गए :))
    ज़माना उसी का है जिसके हाथ पर अत्यंत मैल चढ़ा हो और जिसका नाम हर टीवी चैनल पर जड़ा हो.

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  7. वाह...मन प्रसन्न हो गया आपकी प्रस्तुति देखकर...बहुत बहुत बधाई...

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  8. बहुत सार्थक रचना..शब्द शब्द बाँध लेता है ...बधाई स्वीकारें

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  9. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भाव, बधाई .

    कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा .

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  11. बेहतरीन कटाक्ष.....
    बड़ा लंबा अंतराल हो गया...कुछ पोस्ट करें..

    सादर
    अनु

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  12. बहुत खूब !खूबसूरत रचना,। सुन्दर एहसास .
    शुभकामनाएं.

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  13. bahut hi umda likha hai aapne... likhte rahiye
    Please Share Your Views on My News and Entertainment Website.. Thank You !

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