Wednesday, November 29, 2017

यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर

यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
        मन की बात मन में रही तो मन भारी हो जायेगा
        इतनी बातो का भण्डार तू किसके आगे सुनाएगा
        मन बेचारा नाजुक कोमल इसको ना सताया कर
यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
        अपना समझ किसी को अपने मन की बात बता
        अकेले तो तेरा जीवन बन जाएगा एक सजा
        दोस्त बना किसी को अपना उसके संग मुस्काया कर
यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
        छोटा सा होता ये मन नहीं होता कोई सागर
        भरते भरते भर जायेगी नन्ही सी इसकी गागर
        जमने ना दे भावो की काई इसका रोज सफाया कर
यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
          चिंता करना किस बात की और क्या अपने हाथ है
        हर समस्या का निदान है जब ऊपर वाला साथ है
        जीवन है फूलो की क्यारी खुशबू से महकाया कर
यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
      

No comments:

Post a Comment