Wednesday, July 27, 2011

जिंदगी खिलती है गुलज़ार बनके

जिंदगी खिलती है गुलज़ार बनके 
तुम देखो तो इसको  प्यार करके
तुम्हारे भी नाज़ उठाएगा कोई 
तुम देखो तो कभी इकरार करके 
मुंह मोडना जिंदगी से कोई बात नही 
खुश रहो हर गम से दो चार करके
अपनी जिंदगी को तुमने जाना ही कब है 
तुमने देखा ही कहाँ कभी प्यार करके 
कोई शख्स है तुम्हारी जरूरत है जिसे 
सपने तुम्ही से है  जिसके संसार भर के 
तुम जिंदगी हो किसी की कोई तुम्हारा है 
देखलो कुछ दूर तुम मेरे साथ चल के 

Wednesday, July 13, 2011

तो क्या करें

उन की याद आने से होती है आँख नम, तो क्या करें
चलते हुए उनकी गली में रुक जाते है कदम, तो क्या करें
उन को भूल जाने की सलाहे तो बहुत मिली
पर ये दिल न माना बेशरम, तो क्या करे
यूं तो चाहने वाले हमारे भी बहुत है
पर उनके ही दीवाने हुए हम, तो क्या करे
एक नज़र वो हमें देखते भी नही 
उनके दीदार की ही फिराक में रहे हम, तो क्या करे  
 हम फोन भी करे तो वो उठाते नही 
उनकी मिस काल में भी है दम, तो क्या करे