Monday, April 18, 2011

तेरी यादों में

हम तेरी यादों में इस कदर खो जाते है
याद करते है तुमको और रो जाते है
लोग कहते है प्यार में नींद नहीं आती
सपने में तुझे मिलने को हम शाम से सो जाते है
सुबह उठ के मुंह धोने की जरूरत किसे ?
मेरे आंसू ही मेरा मुंह धो जाते है
किस किस लम्हे की जड़ निकालू दिल से
वो जब भी  दीखते है नया बीज बो जाते है
मिल जाते है वो हमें हर एक मोड़ पर
दुनिया की भीड़ में अक्सर लोग खो जाते है ?


Friday, April 8, 2011

अन्ना हजारे

भगीरथ ने की थी तपस्या
संभव करने असंभव  को
उनके  पुरखो की
अतृप्त आत्माओ की 
 प्यास बुझाने
उतर आना पड़ा था
गंगा को
झुक जाना पड़ा था भगवान्  को


एक और भगीरथ
लगा है  तपस्या में
लाना चाहता है लोकपाल की गंगा
करोडो अतृप्त भारतीयों के लिए
जिनकी आत्मा तड़प रही है
भ्रष्टाचार के प्रहार सहते

हमारे  कंठ सूख रहे हैं
भ्रष्टाचारी   मजे लूट रहे है
खुले सांड से घूम रहे है
आखिर कब तक ?
अब तो गंगा को आना ही पड़ेगा 
तृप्त करने करोडो आत्माओ को
सरकार चाहे जितने जोर लगा ले
इन्द्र की तरह
चाहे जितने कोप बरसा ले
ये भगीरथ नहीं हटेगा
ला कर ही रहेगा गंगा को